bhoot ki kahani हैलो दोस्तों
भूत की कहानी में मै आपको लडबकवा का कहानी सुनाऊंगा यह बहुत ही मजेदार कहानी है
एक गांव में दो भाई रहते थे एक का नाम लल्लनबाबू था और दूसरे भाई का नाम लड़बकावा था लल्लनबाबू खूब पढ़ाई लिखाई करते थे और लडबकवा ने पढाई नहीं की इसलिए इसके घर वालो ने ऐसा नाम रखा समय बिता तो लल्लनबाबू कमाने शहर की ओर गए
(bhoot ki kahani )वह एक जमींदार के वहा काम मांगने गए तो जमींदार ने रख दी की उस नाद में पानी भरना है भर दोगे तो नौकरी मिल जाएगी लल्लनबाबू तैयार हो गए उन्होंने बाल्टी उठाया और पानी भरना स्टार्ट किया बाल्टी में छेद था जब तक लल्लनबाबू पानी लाते थे तबतक पानी बाल्टी से पानी गिर जाता था लल्लनबाबू को एक नाद भरने में ही सुबह से शाम हो गया वे वेहद थक गए
जमींदार ने उन्हें नौकरी पर रख लिया लेकिन शर्त यह रखी की यदि तुम काम छोड़ कर गए तो मै तुम्हारा नाक कान काट लूंगा और यदि मै काम से निकाला तो मेरे नाक कान काट लेना और मै अपनी बेटी का ब्याह तुमसे कर दूंगा और सारी जायदाद तुम्हे दे दूंगा लल्लनबाबू मान गए (bhoot ki kahani)
जमींदार बहुत चतुर था उसने खाने के लिए 2 शर्ते रखी या तो पत्ता भर भत्ता खाने को मिलेगा (यानि कोई भी पेड़ का पत्ता लाओ उस पर भर पत्ता चावल मिलता है ) या फिर स्वादिस्ट मीठे 1 रोटी , लल्लनबाबू सोचे की पत्ता भत्ता बहुत खाया हु स्वादिस्ट मीठा 1 रोटी ही अच्छा रहेगा फिर दिन बिता जमींदार खूब काम लेता और लल्लनबाबू को एक ही मीठा रोटी देता था लल्लनबाबू धीरे धीरे पतले होते जा रहे थे काम छोड़कर तो जमींदार नाक कान काट लेगा
परेशान होकर लल्लनबाबू ने काम छोड़ दिया तो शर्त के अनुशार जमींदार ने लल्लनबाबू के नाक कान को काट लिया
जब लल्लनबाबू घर आये तो लडबकवा देखा तो गुस्सा हो गया लडबकवा बोलै ए मर्दे नाक कटा के चल अइला देखा अब हम जात बानी यह कहकर लडबकवा शहर की तरफ गया
वहा वह उसी जमींदार के वहा काम मांगने गया शर्तानुसार उसे भी बाल्टी मिला नाद को भरने के लिए चुकी बाल्टी फूटी हुई थी लडबकवा चतुर था उसने थोड़ी मिटटी ली और फूटी बाल्टी पर लगा दिया पानी बहाना बंद हो गया और पांच राउंड में ही नाद भर गया उसे काम मिल गया
जमींदार ने लडबकवा से भी शर्त रखी की काम छोड़कर जाओगे तो नाक कान काट लूंगा और मै निकलूंगा तो मेरे नाक कान काट लेना लडबकवा मान गया
खाने में उससे पूछा गया क्या खाओगे तो लडबकवा ने कहा एक मीठी रोटी बहुत खाया हु मुझे पत्ता भर भत्ता चाहिए वो डेली केला का पत्ता लाता था भर पत्ता भात लेता था जितना मन करे खाता था बाकि खेत में फेक आता था जमींदार नुकसान देखकर परेशान होने लगा निकल भी नहीं सकता क्यों की लडबकवा नाक काट लेगा
उसे जमींदार ने कहा जाओ मेरे बच्चे को झाड़ा लाओ लडबकवा बच्चे को लेकर खेत गया और बोला ,, हगब तब्बो मारब मुतब तब्बो मारब ,, बच्चा झाड़ा नहीं फिरता था और घर आकर रोने लगता है वह बार बार लडबकवा से खेत में भेजता और लडबकवा बच्चे को यही बोलता था ,, हगब तब्बो मारब मुतब तब्बो मारब ,, परेशान होकर जमींदार को खुद बच्चा लेकर डेली जाना पड़ता था जमींदार, उस लडबकवा को निकल भी नहीं सकता था क्यों की लडबकवा नाक कान काट लेगा
अब जमींदार परेशान रहने लगा , खेत में गन्ने की फसल तैयार हो गयी थी जमींदार ने कहा की जाओ और फसल कटवा के घर लाओ लडबकवा ने सारा फसल कटवा कर सभी मजदूरों के साथ आया द्वार पे खड़ी जमींदार की अम्मा से पूछा की गन्ना कहा रखना है जमींदार की अम्मा किसी बात से पहले से परेशान थी गुस्से में बोल दिया की ,,लावा हमरे कपरा पे रख दा ,,लडबकवा ने अपने सर पर रखा गन्ने के गठ्ठर को जमींदार की अम्मा के ऊपर फेक दिया जिससे जमींदार की अम्मा मर गयी
जमींदार आग बबूला हो गया उसने बोला की काम छोड़ दो लडबकवा ने शर्त के अनुसार जमीदार का नाक और कान काट लिया और सारा जागीर लडबकवा के नाम हो गया
सारा धन लेकर जब वह घर पंहुचा तो उसका भाई लल्लनबाबू बहुत खुस हुवा और ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे
bhoot ki kahani शीर्षक में इस कहानी का निष्कर्ष
इस कहानी से यही निष्कर्ष निकालता है की किताबी पढाई हर जगह काम नहीं आती है लडबकवा को सामाजिक ज्ञान अधिक था जिससे जमींदार उसको परेशान नहीं कर पाया और लडबकवा ने ही उसका नुकसान कर दिया वही लल्लनबाबू जमींदार की चंगुल में खुद फस गए और अपना ही नाक कान कटवा लिया
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