kargil war

kargil war की सुचना मिली

हैलो दोस्तों

kargil war

(kargil war) पाकिस्तान की सिक्स नोर्गन लाइट इन्फैंट्री के कैप्टन इफ्तेकार और लांस नायक अब्दुल हाकिम अपने सैनिक साथियो के साथ कारगिल की आजम चौकी पर कब्ज़ा जमाये बैठे थे I तभी कुछ भारतीय चरवाहे अपने मवेशियों को चराते हुए वहा पहुंचते है उन चरवाहों ने देख लिया था की पाकिस्तानी फ़ौज भारत की सिमा के अंदर उसकी चौकियों पर कब्ज़ा जमा चुकी है

उस चौकी पर कब्ज़ा करने वाले पाकिस्तानी सैनिको के पास राशन सिमित था इसीलिए वे चाहकर भी उन चरवाहों को बंदी नहीं बना सके क्यों की उन्हें डर था की इससे उनका राशन ख़त्म हो जायेगा इन्ही चरवाहों ने सबसे पहले भरतीय सेना को जाकर जानकारी दी की( kargil war )कारगिल पर पाकिस्तानी फ़ौज ने कब्ज़ा कर लिया है

सुचना के बाद के बाद प्रथम एक्शन (kargil war)

सुचना की पुस्टि करने के लिए सबसे पहले भारतीय फ़ौज के कुछ सैनिको ने उस चौकी के आस पास का मुवायना किया पूरी स्थिति को अच्छे तरह से समझने के लिए लामा हेलीकाप्टर से सेना ने उस चौकी के ऊपर उड़ान भरी तो पाया की सच में पाकिस्तान ने चौकी पर कब्ज़ा जमा लिया है ये पहला मौका था जब भारतीय सैनिको को पता चला की पाकिस्तानी सैनिको ने( kargil war )कारगिल की चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया है

अगले दिन फिर से भारत के लामा हेलीकाप्टर ने उड़ान भरी और दुशमन के ठिकानो पर गोलिया बरसाइ पाकिस्तानी सेना ने भी अपने मुख्यालय से भारत के लामा हेलीकाप्टर पर जबाबी हमले की अनुमति मांगी लेकिन मुख्यालय से इसकी अनुमति नहीं दी गयी पाकिस्तान की सेना के उच्च अधिकारी भारत को एक बड़ा सप्राइज देना चाहते थे भारत की सेना को लगा की यह एक बड़ी घुसपैठ है लेकिन फिर भी इसे अपने स्तर पर बिना राजनितिक हस्तछेप के सुलझाया जा सकता है

पर बाद भारत को भी यह अहसास हुआ की यह संकट बहुत बड़ा था 3 मई 1999 को kargil war शुरु हुआ था जिसकी सुरुवात पाकिस्तान की तरफ से की गयी थी लेकिन इस युद्ध की समापन 26 जुलाई 1999 को भारत की तरफ से की गयी

(kargil war )इस दिन को हर साल कारगिल के विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है कारगिल (kargil war )की लड़ाई लगभग 3 महीने तक चली जिसमे भारत ने अपने सैकड़ो विरो को खो दिया लड़ाई भारत की तरफ से सुरु नहीं की गयी थी पाकिस्तान में इस लड़ाई को हमपर थोपा था इस लड़ाई में हमने पाकिस्तान को ऐसा जबाब दिया जिसके बाद पूरी दुनिया में उसकी बेज्जती हुई और अपने सैकड़ो सैनिक खोकर भी उसे कुछ हासिल नहीं हुआ

kargil war में गयी इतने सैनिको की जान

कारगिल वॉर kargil war में जहा भारत के 527 सैनिक शहीद हुए वही पाकिस्तान के 1000 से 1200 के करीब के सैनिको ने अपनी जान गवाई थी यह रिपोर्ट भारत के द्वारा पेस की गयी थी जिसे पाकिस्तान नहीं मनाता इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया की पाकिस्तान के 200 सैनिको को भारत में ही दफनाना पड़ा था क्यों की पाकिस्तान ने उन्हें लेने से ही इंकार कर दिया था इस लड़ाई में पाकिस्तान के ज्यादा सैनिक मारे गए या नहीं इस पर डिबेट हो सकती है लेकिन इस युद्ध में भारत को अपने सैकड़ो सैनिक खोने पड़े थे

इस तरह हुई थी भारत में घुसपैठ (kargil war)

इस लड़ाई की शुरुवात तब हुई जब पाकिस्तान के सैनिको और चरमपंथी ताकतों सर्दिया ख़त्म होने से पहले कारगिल की ऊंची पहाड़ी पर घुसपैठ करके अपने ठिकाने स्थापित कर लिए हर साल भारतीय जवान उन चौकियों को सर्दियों में खाली कर दिया करते थे और गर्मी में उन चौकियों पर वापस आ जाया करते थे लेकिन इस बार पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पाकिस्तानी सैनिको की मदद से भारतीय सेना के वहा पहुंचने से पहले ही वहा कब्ज़ा कर लिया पाकिस्तान के द्वारा किये गए इस अवैध कब्जे के बारे में भारतीय सैनिको को शुरु में पता ही नहीं चला था पर जब कुछ चरवाहों ने इसकी जानकारी दी और भारतीय सरकार तक यह जानकारी पहुंची तब भारत को बहुत बड़ा झटका लगा

तत्कालीन प्रधानमंत्री का पहला एक्शन (kargil war)

उस वक्त जब भारत के प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी को पाकिस्तान की इस हरकत के बारे में पता चला तो उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंती नवाज सरीफ को फोन किया उन्होंने नवाज सरीफ को कहा की आपने हमारे साथ धोखा किया है एक तरफ आप लाहौर में आप हमसे गले मिलते है और दूसरी तरफ हमपर हमला कर देते है इसपर नवाजशरीफ ने जबाब दिया की उन्हे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है उन्होंने यहाँ तक कहा की वे जनरल परवेज मुसर्रफ से इस बारे में जानकारी लेकर वापिस बात करेंगे

kargil war में सबसे चौकाने वाली बात यह थी की भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों को पाकिस्तान की इस हरकत की बिलकुल भी भनक नहीं लगी पर इसका बड़ा कारन यह था की पाकिस्तान ने भारत की उन चौकियों पर कब्ज़ा करने के लिए एडिसनल फोर्स नहीं ली थी पाकिस्तान ने सिर्फ एक या दो एडिसनल बटालियन से ही उन चौकियों को अपने कब्जे में ले लिया था क्यों की बर्फ पिघलने तक भारत की तरफ से वहा कोई भी सैनिको की डिप्लोयमेंट नहीं हुई थी

अगर पाकिस्तान वहा ज्यादा फ़ोर्स डिप्लॉय करता तो RAW उनकी मूवमेंट को पकड़ लेता और इसी कारन भारत की सुरक्षा एजेंसिया फेल हो गयी

kargil war

पहाड़ो पर छुपे दुश्मनो से लड़ना कठिन था (kargil war)

आगे की लड़ाई और मुश्किल से भरी थी 3 मई से लेकर जून से पहले हप्ते तक भारतीय सेना को बहुत ही ज्यादा मुश्किल हुई पर धीरे धीरे भारत इस लड़ाई में अपनी पकड़ बनाने लगा पाकिस्तान से अपने क्षेत्रो को आजाद करवाना मुश्किल काम था क्यों की पाकिस्तान के सैनिक उची पहाड़ियों पर बैठे हुए थे भारतीय सेना पाकिस्तनि सेना पर निचे से जोरदार हमले कर रही थी पर ये लड़ाई बहुत मुश्किल थी क्यों की कारगिल के उंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के एक सैनिक के बदले भारत के अपने 27 सैनिक लगाने पड़े थे

उचाई पर पाकिस्तान के सैनिको के कारन पाकिस्तान के 8 से 10 सैनिको के खिलाफ भारत को पूरा बटालियन लगाना पड़ता था मुसर्रफ ने कहा की उन्हें राजनितिक समर्थन नहीं मिला नहीं तो युद्ध का परिणाम कुछ और होता

भारत के बहुत ज्यादा जवान इस लड़ाई में मारे गए और घायल भी हुए kargil war में बोफोर्स तोपों ने बहुत ही अहम् भूमिका निभाई थी इस युद्ध में भारतीय सैनिको को आम जनता का खूब समर्थन मिला उनकी हौसले बुलंद हो गए साथ में पूरी दुनिया ने देखा की किस तरह पाकिस्तान ने पहल की थी और भारतीय क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था पाकिस्तान के इस कब्जे का उद्देश्य NH 1D को पूरी तरह से काटना था ताकि सियाचिन को भारत से अलग किया जा सके जनरल परवेज मुसर्रफ को हमेसा यह बात खलती रहती थी की भारत ने 1984 में सियाचिन पर कब्ज़ा कर लिया था परवेज मुसर्रफ में कई बार भारत को वहा से हटाने की कोसिस की थी लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए थे

पाकिस्तान के ऊंची चोटी पर होने के कारन भारत के कई सैनिक मारे जा रहे थे जिस कारन यह फैसला लिया गया की भारत सरकार घुसपैठियों के खिलाफ एयरफोर्स इस्तेमाल करेगी 27 मई से भारत ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए MIG 27 और MIG 29 को मैदान में उतार दिया भारत की सेना ने पाकिस्तान के अंदर भी घुसकर हमले किये जिसमे भारत के दो लड़ाकू विमान को भी पाकिस्तान ने मार गिराया 9 जून को बाल्टिक की दो चौकियों पर तिरंगा लहरा दिया था

पाकिस्तान इस कब्जे को कुछ आतंकवादी संगठनो का काम बता रहा था लेकिन जब 12 जून को भारत ने जनरल परवेज मुसर्रफ और जनरल अजीज की बातचीत की एडीओ रिकॉर्डिंग पूरी दुनिया के सामने रखी तो पूरी दुनिया को पता चल गया की इसमें पाकिस्तानी सेना का हाथ है 13 जून को भारत ने द्रास सेक्टर में ट्रोलिंग पोस्ट से भी पाकिस्तानी सैनिको को खदेड़ दिया

कारगिल युद्ध(kargil war) में अमेरिका की भूमिका

इसके बाद 15 जून को अमेरिका ने हस्तछेप कर पाकिस्तान को अपनी सेना हटाने को कहा तब पाकिस्तान ने अमेरिका की भी नहीं सुनी 29 जून आते आते भारत ने टाइगर हिल की दो चोटियों पर भी तिरंगा लहरा दिया इन पोस्ट का नाम 5060 और 5100 था रणनीतिक तौर पर ये दोनों पोस्ट भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण थे

जब भारत ने पाकिस्तान को बहुत बुरी तरह से सबक सीखना सुरु किया तो युद्ध विराम की गुहार लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्रि नवाजशरीफ अमेरिका के सरन में पहुंच गए उस वक्त अमेरिका ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई और कहा की उन्होंने पहले ही बिना शर्त अपने सैनिक हटाने के लिए कहा था

कारगिल युद्ध का अंतिम पड़ाव

भारतीय सेना की कार्यवाही पाकिस्तान पर अमेरिका के दबाव और राजनीतिक सहयोग न मिलने से पाकिस्तानी सेना का मनोबल पूरी तरह से टूट गया 2 जुलाई को भारत ने कारगिल को 3 तरफ से घेर लिया इस दिन घमासान युद्ध हुआ पाकिस्तान और भारत दोनों तरफ से बहुत से सैनिक सहीद हुए आख़िरकार टाइगरहिल पर भारत ने तिरंगा लहराकर सभी पोस्ट अपने कब्जे में ले लिया 26 जुलाई को कारगिल युध्द समाप्त हुआ इसके बाद हर साल इसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है इस युद्ध में सैकड़ो विरो ने अपनी जान देकर भारत की जमींन को फिर से हासिल कर लिया

इस युद्ध का जब विस्लेषण किया गया तो कारगिल रिव्यू कमिटी की तरफ से भारत की सेना को CDS यानि चिप ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ की नियुक्ति का सुझाव दिया गया जनरल विपिन रावत भारत के पहले CDS बने

भारत से इतने युद्धों में हारने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता

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